10 Most Chemistry Science question| 10 Most रासायनिक विज्ञान प्रश्न | 

10 Most Chemistry Science question : दोस्तों आज हम लोग रसायन के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न के बारे में जानेंगे | 10 Most Chemistry Science question | दोस्तों रोज आप अपने आसपास कुछ ऐसी घटनाएं देखते होंगे जिसके बारे में आप नहीं जानते होंगे | इसे देखते हैं आपके मन में इसे जानने की इच्छा जाहिर होती होगी |  कि ऐसा क्यों होता है |  तो आज हम कुछ अजूबे घटनाएं के बारे में जानेंगे | 10 Most Chemistry Science question |

Table of Contents

10 Most Chemistry Science question

1. दूध से दही कैसे बनता है ? क्या दही के हम वापस दूध बना सकते हैं?

किण्वन (fermentation) की प्रक्रिया के द्वारा दूध से दही बन जाता है।  किण्वन एक रासायनिक प्रक्रिया है को आम तौर पर जीवाणुओं द्वारा आरम्भ होती है। ये  जीवाणु कुछ ख़ास रसायन पैदा करते हैं जो इन किण्वन प्रक्रियाओं मैं उत्प्रेरक  का कार्य करते  हैं। 

दूध से दही का निर्माण जिस जीवाणु द्वारा होता है उसे लैक्टो बड़ीलियस वल्गैरिस और स्ट्रैप्टॉकोक्कस थर्मोफिलस कहा जाता है  ये जीवाणु दूध में उपस्थित लैक्टोस को लैक्टिक एसिड में बदल देता है। इसे हम दही बनना कहते हैं। 

दूध से दही का बनना एक रासायनिक क्रिया है और ये अनुत्क्रमणीय है अर्थात एक बार दूध से दही बन जाने पर  दोबारा दही को दूध में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। 

रासायनिक क्रिया- वो प्रक्रम जो पदार्थों के जिसमें एक पदार्थ के आणविक या आयनिक संरचना पुनर्व्यवस्थित हो जाती है परिणामस्वरूप पदार्थों के गुण प्रारंभिक पदार्थों से भिन्न होते हैं ।  उदाहरण के लिए, दूध से दही का बनना, पदार्थों का जलना आदि। 

ये बात ध्यान दिलाने योग्य है कि भौतिक परिवर्तन में मूल पदार्थों के गुण नहीं बदलते हैं ।\

2. दिल्ली की महारैली में स्थित लौह स्तम्भ पर जंग क्यों नहीं लगता है ?

दिल्ली के महरौली में स्थित लौह स्तम्भ कुतुब मीनार के निकट स्थित एक विशाल स्तम्भ है। यह अपने आप में प्राचीन भारतीय धातु कर्म की पराकाष्ठा है। यह कथित रूप से राजा चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने राज ३७५ – ४१३ में निर्माण कराया गया, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य  के शासन काल से पहले निर्माण किया गया, संभवतः ९१२ ईपू में। 

दिल्ली के महरोली में स्थित लौह स्तम्भ पर जंग नहीं लगता क्योंकि इस स्तम्भ में फोस्फोरस की अधिकता (0.114%) है एवं सल्फर की नगण्यता (0.006%) होने से कोई खराबी नहीं होती, इसके ऊपर मैंगनीज़ ऑक्साइड (MnO2) का लेप है जो इसे सुरक्षित रखता है और जंग नहीं लगता है।

जंग (rust) वास्तव मे वो पदार्थ है जो लोहे की ऑक्सीजन से क्रिया के फलस्वरूप बनता है।  लोहे की ऑक्सीजन से क्रिया से फेरिक ऑक्साइड बनता है जिसे हम आम भाषा में जंग कहते। जंग किसी भी लोहे की संरचना के लिए बहुत ही खतरनाक है क्यूंकि इससे वो संरचना बहुत कमज़ोर व भंगुर हो जाती है।  इसलिए लोहे को जुंग से बचने के लिए पेंट आदि किया जाता है।

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3. शुष्क सेल कैसे बनता है? ये अक्सर रखे-रखे खराब क्यों हो जाता है ?

शुष्क सेल (dry cell) एक प्रकार के विद्युत रासायनिक सेल है जो कम बिजली से चल सकने वाले पोर्टेबल विद्युत-युक्तियों (जैसे ट्रांजिस्टर रेडियो, टार्च, कैलकुलेटर आदि) में प्रयुक्त होते हैं।

शुष्क सैल में ऊर्जा रासायनिक अभिक्रिया द्वारा बनती है। इसमें एक पदार्थ की छड़ एनोड (धनावेशित) और दूसरी पदार्थ की छड़ कैथोड (ऋणावेशित) होती है।

Zn  + 2MnO2 + 2NH4 ➜ Mn2O3 + H2O + Zn 2 + 2NH3

इन प्रतिक्रिया के कारण, रासायनिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है। यह ऊर्जा फिर बाहरी सर्किट के माध्यम से बैटरी से जुड़ी डिवाइस तक बहती है।

रखे-रखे ही क्यों हो जाते हैं खराब- शुष्क सैल में एनोड के लिये कार्बन (Carbon) की छड़ तथा कैथोड़ के लिये जस्ते (Zinc)  की छड़ का उपयोग किया जाता है।

जस्ता एकदम शुद्ध नहीं होता है इसमें लोहा, कार्बन आदि धातुओं की अशुद्धियाँ होती है जो कि छोटे-छोटे एनोड का कार्य करती है। इस प्रकार सैल की भीतर ही लघु परिपथ (short-circuit) बन जाता है जिससे सैल काम में नहीं होने पर भी इस प्रकार की क्रिया होती रहती है। जिससे जस्ता व्यर्थ में खर्च होता रहता है। इसलिए सैल की धीरे-धीरे खराब हो जाता है।

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4. नमक में आयोडीन है या नहीं | क्या हम पता कर सकते हैं? कैसे?

हमारे आहार में नमक में आयोडीन का होना  महत्वपूर्ण है क्योंकि आयोडाइन  थायरोक्सिन नामक एक हार्मोन के संश्लेषण के लिए आवश्यक है।  थायरोक्सिन एक बहुत ही महत्वपूर्ण हार्मोन है।  ये हार्मोन चयापचय (Metabolism)  में अति महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।  इसके अलावा आयोडीन शरीर के विकास और विकास और मस्तिष्क के लिए अति आवश्यक है ।

डॉक्टर हमें आयोडीन युक्त नमक खाने की सलाह देते हैं किन्तु ये पता कैसे लगाएं कि नमक में आयोडीन है या नहीं ! हम एक साधारण सा घरेलू  परीक्षण बताने जा रहे हैं।  नमक में धुलाई वाला स्टार्च सलूशन डालें।  यदि रंग नीला हो जाये तो नमक में आयोडीन है वरना नहीं।

5. खानों में दूषित गैस की सूचना देने वाले यंत्र द्रव्य के किस गुण पर आधारित है?

खानों में दूषित गैस की सूचना देने वाला यंत्र गैस के विसरण  (Diffusion ) के गुण पर आधारित है। गैसों के कणों की एक दूसरे में समांग होने की इस प्रवृत्ति को विसरण कहते हैं तथा इस विसरण के गुण के कारण ही वाहनों में फैलने वाली द्रवित गैस का पता चलता है।

विसरण (Diffusion)-

दो या दो से अधिक पदार्थों का स्वतः एक दूसरे से मिलकर समांगी मिश्रण बनाने की क्रिया को विकिरण कहते हैं।

ग्राहम का विसरण का नियम-

थॉमस ग्राहम  ने प्रयोगों के आधार पर पाया कि किसी गैस के विसरण (diffusion) की की दर उनके कणों के द्रव्यमान के वर्गमूल के व्युत्क्रामुपाती होती है। इसे सूत्र रूप में इस प्रकार लिखा जा सकता है-

Rate 1 पहली गैस के विसरण की दर है। (आयतन या मोल प्रति इकाई समय)

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6. नौसादर , आयोडीन और कपूर के गर्म करने पर ये बिना पिघले ही सीधे गैसीय अवस्था में आ जाते हैं|  क्यों?

प्रत्येक पदार्थ के अणुओं (molecules) के मध्य एक  बल काम करता है जो पदार्थ को आपस में बांधे रखता है।  ठोस में ये बल सबसे अधिक, द्रवों मैं उससे कम और गैसों में सबसे कम होता है । 

एक ही पदार्थ के अड़ुओं के बीच कार्य करने वाला बल ससंजक बल और भिन्न भिन्न पदार्थों के अणुओं के बीच कार्य करने वाला बल आसंजक बल कहा जाता है। 

नौसादर,आयोडीन तथा कपूर के अणुओं के मध्य ससंजक बल का मान बहुत कम होता है। गर्म करने पर यह ससंजक बल नष्ट हो जाता है तथा अणु स्वतंत्र होकर गैसीय अवस्था में आ जाते है। अतः इन पदार्थों को गर्म करने पर ये बिना द्रव अवस्था में आये सीधे ही गैसीय अवस्था में आ जाते है। पदार्थों के इस गुण को उर्ध्वपातन (Sublimation) कहते हैं।

7. ऐसी टेस्ट ट्यूब को जिसमें पानी नीचे सोता से गर्म किया जा रहा हो, पकड़ना संभव होता है कैसे?

ऐसी टेस्ट ट्यूब को जिसमें पानी सतह से उबाला जा रहा हो हाथ से पकड़ा जाना सम्भव है। ऐसी स्थिति में टेस्ट ट्यूब को पैंदी से गरम नहीं करके पानी की सतह की ओर से गरम करते हैं।

गरम होकर पानी हल्का होता है तथा यह पैंदी की ओर नहीं जाकर ऊपर की ओर बढ़ जाता है और  उबलकर भाप में बदलता जाता है जबकि नीचे के पानी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और वो ठंडा ही रहता है।  इसलिए हम टेस्ट ट्यूब को आराम से पकड़े रह पाते हैं।

इस प्रश्न से यह कांसेप्ट बनता है कि गर्म पानी ऊपर उठता है। ये कुछ इस तरह ही है जैसे गर्म वायु गर्म होकर ऊपर उठती है। परन्तु प्रश्न ये उठता है कि आखिर पानी या हवा गर्म होने पर ऊपर क्यों उठती हैं? नीचे क्यों नहीं जाती!  इसका जवाब हमें विज्ञान से मिलता है।

हर वस्तु अणुओं परमाणुओं से बानी हुयी है, चाहे वो द्रव हो या गैस या ठोस।  ये अणु या परमाणु लागर गति करते रहते हैं, अर्थात इनमें गतिज ऊर्जा होती है। ताप बढ़ने पर दी हुयी ऊष्मा इन अणुओं की आंतरिक ऊर्जा बढ़ाती है और वो और अधिक तेजी से गति करने लगते हैं जिससे इनका फैलाव होता है।  फैलाव मतलब, कम घनत्व–> कम घनत्त्व मतलब सापेक्षिक हल्कापन–> ऊपर की और गति (भारी गैस या द्रव नीचे की तरफ मूव करते हैं।)

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8. पाश्चरीकरण क्या होता है और इसका इस्तेमाल खाद्य संरक्षण में कैसे किया जाता है?

पाश्चरीकरण तरल खाद्य पदार्थ को गर्म रहित (कीटाणु रहित)   करके संरक्षित करने की एक तकनीक है। जिसमें तरल खाद्य पदार्थ आमतौर पर दूध को 60-65°C पर 39 मिनट तक गर्म करके फिर 5°C या उससे कम तापमान पर ठंडा किया जाता है।

गरम करने से सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते है तथा ठंडा करने पर किसी कारण से जीवित रह गये सूक्ष्मजीवों की वृद्धि को रोकता है। पाश्चुरीकृत दूध या खाद्य पदार्थ को वायु रुद्ध बर्तनों में संग्रहित करने पर वे लम्बे समय तक खराब नहीं होते है। इस विधि द्वारा फलों के रस शराब व बीयर को संरक्षित किया जाता है।

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9. लिटमस पत्र क्या होता है?  नीले लिटमस को नींबू रस में डूबाने पर वह गुलाबी हो जाता है|  क्यों? 

लिटमस पेपर वास्तव में प्रयोगशालाओं व औद्योगिक संस्थानों में अम्ल व क्षार की पहचान करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।  ये एक साधारण कागज़ ही होता है जिस पर जल में घुलनशील विभिन्न रंजकों का एक मिश्रण होता है जो थैलोफाइटा समूह के ‘लिचेन’ नामक पौधे से निकाला जाता है। प्रायः इसे सूचक की तरह उपयोग किया जाता है।

नीला लिटमस पत्र अम्ल के साथ क्रिया करके गुलाबी रंग देता है। नींबू के रस में अम्लीय गुण होने के कारण वह गुलाबी हो जाता है जबकि दूध व पानी उदासीन प्रकृति के होने के कारण लिटमस पर कोई प्रभाव नहीं डालते हैं।

10. आभूषण बनाने के लिए सोने व चांदी का उपयोग क्यों किया जाता है?

सोना व चांदी उत्कृष्ट धातु (Noble metals) हैं। यह आघातवर्धनीय तथा तन्य हैं तथा लम्बे समय तक वायु, जल, अम्लीय या क्षारीय पदार्थों द्वारा प्रभावित नहीं होती इसी निष्क्रिय गुण के कारण इनकी चमक लम्बे समय तक बनी रहती है। इसलिए इसका उपयोग आभूषण बनाने के लिए किया जाता है।

इस उत्तर में पदार्थों के दो गुण आघातवर्धनीयता, तन्यता चर्चित हुए हैं।  आइये इसके बारे में और जानते हैं। 

आघातवर्धनीयता (Malleability) – किसी पदार्थ को दबाने पर (या संपीडक प्रतिबल की स्थिति में) विकृत होकर दाब के लंबवत दिशा में फैलने का गुण आघातवर्धनीयता (Malleability) कहलाता है। आघातवर्धनीय पदार्थों को हथौड़े से पीटकर या बेलकर (रोलिंग करके) आसानी से चपटा किया जा सकता है। धातुएँ प्रायः आघातवर्धनीय हैं। सोना, लोहा, एल्यूमीनियम, ताँबा, पीतल, चाँदी, सीसा आदि आघातवर्धनीय हैं।

तन्यता (Ductility) – पदार्थ  का वो  गुण जिससे पदाथों को बल लगाकर खींचा जा सकता है।  नमक आदि को खींचने पर वो टुकड़ो में टूट जाते हैं  जबकि धातुओं को खींचा जा सकता है।

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