BSEB Biology Class 9 Chapter 1 Notes in Hindi | जीवन की मौलिक इकाई | Best Notes For 9th Class |
यह पोस्ट हम आपके लिए लाए हैं | Biology Class 9 Chapter 1 Notes in Hindi | दोस्तों इस Chapter का नाम “ जीवन की मौलिक इकाई” (The Fundamental Unit of Life) है | हमने जीवन की मौलिक इकाई पाठ का एक छोटा सा नोट्स बनाया है जो आपके लिए बहुत ही उपयोगी है | दोस्तों इस पोस्ट में जीवन की मौलिक इकाई Chapter से जुड़ी एक एक पॉइंट परिभाषित किया गया है | जिससे आप कम से कम समय में अच्छे से तैयारी कर सकते हैं | Biology Class 9 Chapter 1 Notes in Hindi |
Biology Class 9 Chapter 1 Notes in Hindi | जीवन की मौलिक इकाई | Best Notes For 9th Class |
कोशिका :-
सभी जीव सूक्ष्म इकाइयों से बने होते हैं | जिन्हें कोशिका कहते हैं |सभी जीवों के संरचनात्मक व कार्यात्मक इकाई कोशिका है | कोशिका के आकार, आकृति व संगठन का अध्ययन साइकोलॉजी कहलाता है |
कोशिका की खोज :-
कोशिका का सबसे पहले पता रॉबर्ट हुक ने 1665 में लगाया था | उसने कोशिका को कार्क की पतली काट में अनगढ़ सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा |
एन्टोनी ल्यूवेन हॉक (1674) ने सबसे पहले उत्पन्न सूक्ष्मदर्शी से तालाब के जल में स्वतंत्र रूप से जीवित कोशिकाओं का पता लगाया |
कोशिका का निर्माण :-
प्रोटोप्लाज्मा के विभिन्न संगठन में जल, आयन, नमक, इसके अतिरिक्त दूसरे कार्बनिक पदार्थ जैसे:-प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा,न्यूक्लिक अम्ल, व विटामिन आदि होते हैं जो कोशिका का निर्माण करते हैं |
कोशिका सिद्धांत :-
कोशिका सिद्धांत का प्रतिपादन जीव वैज्ञानिक स्लिडन व स्वान ने किया जिसके अनुसार :-
- सभी पौधे और जीव कोशिका के बने होते हैं |
- कोशिका जीवन की मूल इकाई है |
- सभी कोशिकाएं पूर्व निर्मित कोशिकाओं से पैदा होते हैं |
जीव के प्रकार :-
जीव दो प्रकार के होते हैं |
एक कोशिकीय जीव :-
वे जीव जो एक ही कोशिका के बने होते है एवं स्वयं में एक संपूर्ण जीव होते हैं, एक कोशिकीय जीव कहलाते हैं |
जैसे:- अमीबा, पैरामीशियम, क्लेमाइडोमोनास और बैक्टीरिया आदि |
बहुकोशिकीय जीव :-
वे जीव जिनमें अनेक कोशिका में समाहित होकर विभिन्न कार्य को संपन्न करने हेतु विभिन्न अंगों का निर्माण करते हैं , बहुकोशिकीय जीव कहलाते हैं |
जैसे:- फंजाई (कवक) पादप, मनुष्य एवं अन्य जंतु आदि |
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Biology Class 9 Chapter 1 Notes in Hindi | Biology Class 9 Chapter 1 Notes in Hindi |
कोशिका के प्रकार :-
- प्रोकैरियोटिक कोशिका
- यूकैरियोटिक कोशिका
प्रोकैरियोटिक कोशिका :-
वे अविकसित कोशिकाएं जिनमें पूर्णतः संगठित और व्यवस्थित केंद्र नहीं पाए जाते हैं; जैसे जीवाणुओं और नील रहित शैवालों की कोशिकाएं | ऐसी कोशिकाओं को पुरातन या अविकसित अथवा प्रोकैरियोटिक कोशिकाए कहते हैं |
यूकैरियोटिक कोशिका :-
वे कोशिकाएं जिनमें पूर्ण विकसित केंद्रक एवं सभी कोशिकांग पाए जाते हैं, जो कोशिकाएं हैं सभी विकसित और जटिल रचना वाले जीवों के शरीरों में पाए जाते हैं, ऐसी कोशिकाओं को विकसित कोशिकाएं या यूकैरियोटिक कोशिकाएं कहते हैं |
प्रोकैरियोटिक एवं यूकैरियोटिक कोशिका में अंतर :-
प्रोकैरियोटिक कोशिका | यूकैरियोटिक कोशिका |
(1)इन कोशिकाओं का आकार प्रायः छोटा होता है(1 माइक्रोन और 10 माइक्रोन के बीच में )| 1 m= 10-6m(2)केंद्रक क्षेत्र या नियुक्ति आईडी किसी झिल्ली से गिरा हुआ नहीं होता है | (3)इनमें केवल 1 गुणसूत्र पाया जाता है | (4) इनमें केंद्रिका या न्यूक्लिओमल नहीं पाई जाती है | (5) इनमें कोशिकांग नहीं पाए जाते हैं | (6) इनमें कुछ का विभाजन मुकुलन द्वारा होता है | सूत्री विभाजन नहीं होता है | | (1) इनका आकार प्रायः बड़ा होता है (5 माइक्रोन से 100 माइक्रोन के बीच होता है ) | (2) केंद्रक क्षेत्र 1 झिल्ली द्वारा गिरा हुआ होता है | (3)इनमें एक से अधिक गुणसूत्र पाए जाते हैं | (4)इनमें केंद्रिका पाई जाती हैं | (5)इसमें कोशिकांग पाए जाते हैं | (6) इसमें समसूत्रण या अर्ध सूत्रण द्वारा कोशिका विभाजन होता है | |
कोशिका आकार :-
कोशिकाओं का विभिन्न आकार व आकृति होती है | सामान्यतः कोशिकाएं अंडाकार होती हैं, वे लंबा कार, स्तंभाकार या डिस्क के आकार का भी होती है |
विभिन्न जीवों (पादप और जंतु) की कोशिकाएं विभिन्न आकार एवं प्रकार की होती हैं | कुछ कोशिकाएं सूक्ष्मदर्शी होती है जबकि कुछ कोशिकाएं नंगी आंखों से देखी जा सकती हैं |
- इनका आकार 0.2 m से 18 सेमी, तक होती है |
- एक बहुकोशिकीय जीव की किसी कोशिका का आकार सामान्यतः 2-120m होती है |
- सबसे बड़ी कोशिका :- शुतुरमुर्ग का अंडा (15 सेमी लंबा व 13 सेंटीमीटर चौड़ा )
- सबसे छोटी कोशिका:- माइक्रो प्लाजा
- सबसे लंबी कोशिका :- तंत्रिका कोशिका
सांद्रता के अनुसार विलयन के प्रकार :-
समपरासरी श्री विलयन :-
जब कोशिका के अंदर व बाहर की सांद्रता समान है तो यह समपरासरी विलयन है |
अति परासरण दाबी :-
यदि कोशिका के अंदर की सांद्रता बाह्य द्रव की सांद्रता से अधिक है तो कोशिका के अंदर से जल बाहर निकल जाता है, जिससे कोशिका सिकुड़ जाती हैं |
अल्प परासरण दाबी विलयन :-
जब कोशिका के बाहर के विलयन की सांद्रता कम होती है तो कोशिका के अंदर अंतः परासरण के कारण कोशिका भूल जाएगी व फट जाएगी |
जीवद्रव्य कुंजन :-
पादप कोशिका में परासरण द्वारा पानी की कमी होने पर प्लाज्मा झिल्ली सहित आंतरिक पदार्थ संकुचित हो जाते हैं, जिसे जीव द्रव्य कुंजन कहते हैं |
Biology Class 9 Chapter 1 Notes in Hindi |Biology Class 9 Chapter 1 Notes in Hindi |
कोशिका के भाग :-
समान्यतः कोशिकाओं के विभिन्न भाग कोशिका अंगक कहलाते हैं जो कि विशेष कार्य संपन्न करते हैं |
समान्यतः कोशिकाओं की 3 मुख्य भाग होते हैं |
- प्लाजा झिल्ली
- केन्द्रक
- कोशिका द्रव्य
(1) प्लाजा झिल्ली या कोशिका झिल्ली :-
प्रत्येक कोशिका की संपूर्ण आंतरिक रचनाएं लिपिड एवं प्रोटीन के अणुओं से बनी एक जीवित दिल्ली से गिरी होती हैं,इसे प्लाजा झिल्ली कहते हैं |
- कोशिका झिल्ली वर्णनात्मक पारगम्य झिल्ली होती है | जो कोशिका के अंदर या बाहर से केवल कुछ पदार्थों को अंदर या बाहर आने जाने देती है |
- यह प्रत्येक कोशिका को दूसरे कोशिका की कोशिका द्रव्य से अलग करती है |
- यह लचीली होती हैं जो कि मोडी, तोड़ी व दुबारा जुड़ सकती हैं |
प्लाजा झिल्ली :-
यह कोशिका के अंदर व बाहर और वह को आने जाने देती है यह कोशिका के निश्चित आकार को बनाए रखती है |
प्लाजा झिल्ली अंदर व बाहर अणुओं का आदान-प्रदान दो प्रकार से होता है |
- (A) विसरण
- (B) परासरण
विसरण :-
- उच्च सांद्रता से निम्न सांद्रता की ओर स्वत गमन |
- यह दोनों पदार्थों की सांद्रता को सामान कर देता है |
- ठोस, द्रव , गैस तीनों में संभव है |
- अपने सांद्रता के अंदर के आधार पर विभिन्न पदार्थ गति करने के लिए स्वतंत्र है |
परासरण :-
- वर्णनात्मक दिल्ली द्वारा जल अणुओं का उच्च सांद्रता से निम्न सांद्रता की ओर गमन |
- यह दोनों पदार्थ की सांद्रता को समान कर देता है |
- केवल द्रवीय माध्यम से संभव है |
- केवल विलायक गति करने के लिए स्वतंत्र विलयन नहीं |
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कोशिका भित्ति :-
जीवाणुओ , कवकों,शैवालों और पौधों की कोशिकाओं में प्लाजा झिल्ली के बाहर एक अतिरिक्त आवरण होता है जिसे कोशिका भित्ति को आते हैं |
- यह पादप कोशिका की सबसे बाहरी झिल्ली है ,यह जंतु कोशिका में अनुपस्थित होती हैं |
- यह सख्त, मजबूत, मोटी, संरन्ध्र अजीबत संरचना है, यह सैलूलोज की बनी होती हैं , कोशिका मध्य भित्ति द्वारा एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं |
- पादप कोशिका एक दूसरे से संपर्क में रहते हैं |
- कवकों में पाई जाने वाली कोशिका भित्ति काइटिन नामक रसायन की बनी होती है |
कोशिका भित्ति के कार्य :-
- कोशिका को संरचना प्रदान करना |
- कोशिका को मजबूती प्रदान करना |
- यह संरन्ध्र होती हैं और विभिन्न अणुओं को आर पार जाने देती हैं |
- इसमें मरम्मत करने वालों पुनर्जन्म की क्षमता होती हैं |
केन्द्रक :-
- यह कोशिका का सबसे महत्वपूर्ण अंग है जो कि कोशिका की सभी क्रियाओं का नियंत्रण करता है |
- यह कोशिका का केंद्र कहलाता है |
- 1831 में केन्द्रक की खोज रॉबर्ट ब्राउन ने की |
- यूकैरियोटिक कोशिकाओं में स्पष्ट केन्द्रक होता है जबकि प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में प्राथमिक केंद्रक होता है |
- इसके ऊपर की द्विस्तरीय झिल्ली को केंद्रक झिल्ली कहते हैं |
- केंद्रक द्रव्य में केंद्र काय व क्रोमेटिन धागे होते हैं |
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जीन :-
DNA के बुनियादी और कार्यक्षम घटक को जीन कहते हैं |
जीन गुणसूत्रों पर पाए जाने वाले वे भौतिक इकाइयां हैं जो पैतृक लक्षणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ले जाते हैं |
जीव विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत जीनों के बारे में अध्ययन किया जाता है, जेनेटिक्स या अनुवांशिकी कहलाती है |
कोशिका द्रव्य :-
प्लाज्मा झिल्ली के भीतर एक गाढ़ा पारभासी और जेली की तरह अर्धतरल माध्यम होता है | जिसे कोशिका द्रव्य कहा जाता है |
इसकी दो भाग होते हैं |
सिस्टोल :-
जलीय द्रव जिसमें विभिन्न प्रोटीन होते हैं। इसमें 90% जल ,7% प्रोटीन, 2% कार्बोहाइड्रेट और 1% अन्य अव्यय होते हैं |
कोशिका अंगक :-
विभिन्न प्रकार के अंगक जो प्लाजा झिल्ली द्वारा घिरी होती हैं | कुछ कोशिका अंगक एक झिल्ली, दो झिल्ली या बिना झिल्ली के होते हैं |
माइटोकांड्रिया :-
प्रत्येक यूकैरियोटिक कोशिका में अनेक बेलनाकार, अंडाकार अथवा तंतुवत रचनाएं पाई जाती है | ये कोशिका द्रव्य में बिखरी हुई होती हैं | इन्हें माइट्रोकांड्रिया कहते हैं |
- ये प्रोकैरियोटिक में अनुपस्थित होती हैं |
- माइटोकॉन्ड्रिया कोशिका का पावर हाउस भी कहते हैं |
- यह दोहरे झिल्ली वाले होते हैं और सभी यूकैरियोटिक में उपस्थित होते हैं |
- बाहरी परत चिकनी छिद्रित होती हैं | अतः परत बहुत वलित होती है | और क्रिस्टी का निर्माण करते हैं |
- इसमें अपना खुद का DNA और राइबोसोम होता है |
माइट्रोकांड्रिया का कार्य :-
- इसका मुख्य कार्य ऊर्जा निर्माण कर ATP के रूप में संचित करना है |
- यह क्रेब्स चक्र या कोशिकीय श्वसन का मुख्य स्थान है जिसमें एटीपी का निर्माण होता है।
राइबोसोम :-
ये अत्यंत छोटे गोल कण है जो जीवद्रव्य में स्वतंत्र रूप से तैरते या अंतर्द्रव्यी जालिका की बाहरी सतह पर चिपके पाए जाते हैं | ये RNA व प्रोटीन के बने होते हैं |
राइबोसोम के कार्य :-
- राइबोसोम ( अमीनो एसिड से प्रोटीन संश्लेषण का मुख्य स्थान है | सभी संरचनात्मक व क्रियात्मक प्रोटीन ( एंजाइम) का संश्लेषण राइबोसोम द्वारा किया जाता है | संश्लेषण प्रोटीन कोशिका के विभिन्न भागों में अंतर्द्रव्यी जालिका द्वारा कोशिका के विभिन्न भागों तक भेज दिया जाता है |
लवक :-
ये केवल पादप एवं कोशिकाओं में पाए जाने वाले अंगक है जिनके आंतरिक संगठन में झिल्ली की दो परतें होती हैं | जो एक पदार्थ के अंदर धँसी होती हैं | इस पदार्थ को स्ट्रोमा कहते हैं | यह विभिन्न आकार व आकृति जैसे:- कीपनुमा ,फीता कार, मेखलाकार , आदि तरह के होते हैं | लवक में अपना DNA और राइबोसोम होता है |
लवक के प्रकार :-
लवक तीन प्रकार के होते हैं :-
- हरित लवक
- वर्णी लवक
- अवर्णी लवक
गाल्जी उपकरण :-
ये पतली झिल्ली युक्त चपटी पुटिकाओं का समूह है जो एक दूसरे के ऊपर समांतर सजी रहती है इसका आविष्कार Camoli Golgi ने किया | ये प्रोकैरियोटिक स्तनधारी,(RBC) व Sieve cells मैं यह अनुपस्थित होती है |
गॉल्जीकाय के कार्य :-
- यह लिपिड बनाने में सहायता करता है |
- यह स्वभाव में स्रावी होता है, यह मेलेनिन संश्लेषण में सहायता करता है |
- गॉल्जीकाय के द्वारा लाइसोसोम को भी बनाया जाता है |
बाह्य झिल्ली व अंतः झिल्ली :-
हरित लवक दोहरी झिल्ली युक्त कोशिका है इन झिल्लियों को क्रमशः बाह्य झिल्ली व अंत झिल्ली कहते है |
लाइसोसोम :-
- गोलजी उपकरण की कुछ पुटिकाओं में एंजाइम इकट्ठे हो जाते हैं |
- ये एकल झिल्ली युक्त पुटीका लाइसोसोम कहलाती हैं |
- इनका कोई निश्चित आकृति का आकार नहीं होता है यह मुख्यतः जंतु कोशिका में व कुछ पादप कोशिकाओं में पाए जाते हैं |
- कार्य :- इसका मुख्य कार्य कोशिका को साफ करना होता है |
आत्मघाती थैली :-
उपापचय प्रक्रियाओं में जब कोशिका क्षतिग्रस्त हो जाती है तो लाइसोसोम की पुटिकाएँ खाए फट जाती हैं और एंजाइम स्रावित हो जाते हैं और अपनी कोशिकाओं को पाचित कर देते हैं इसलिए लाइसोसोम को कोशिका के आत्मघाती थैली भी कहा जाता है |
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