Biology Class 9 Chapter 4 Notes in Hindi | हम बीमार क्यों होते हैं (Why do we Fall ill ?) | Best Notes in Hindi | 

BSEB Biology Class 9 Chapter 4 Notes in Hindi | हम बीमार क्यों होते हैं (Why do we Fall ill ?) | Best Notes in Hindi | 

दोस्तों यह पोस्ट हम आपके लिए लाए है | Biology Class 9 Chapter 4 Notes in Hindi | इस Chapter का नाम “ हम बीमार क्यों होते हैं” (Why do we Fall ill ? ) है | दोस्तों हमने इस Chapter का एक छोटा सा नोट्स तैयार किया है जो आपके लिए बहुत ही उपयोगी है | इस पोस्ट में हम बीमार क्यों होते हैं पाठ से जुड़ी हर एक पॉइंट परिभाषित किया गया है जो आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है | जिसे आप कम से कम समय में अच्छे से तैयारी कर सकते हैं | Biology Class 9 Chapter 4 Notes in Hindi |

Table of Contents

Biology Class 9 Chapter 4 Notes in Hindi | हम बीमार क्यों होते हैं (Why do we Fall ill ?) | Best Notes in Hindi | 

स्वास्थ्य :- 

किसी व्यक्ति की सामान्य शारीरिक एवं मानसिक अवस्था है उसका स्वास्थ्य है | 

         स्वास्थ्य अच्छा रहने की व्यवस्था है जिसमें शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कार्य उचित प्रकार से किया जा सके | 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार :- 

स्वास्थ्य व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक व्यवस्था है | 

प्रतिवर्ष 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है ताकि अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो सके | 

अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक परिस्थितियां :- 

  • अच्छा भौतिक पर्यावरण
  • अच्छा सामाजिक वातावरण
  • संतुलित आहार एवं सक्रिय दिनचर्या
  • अच्छी आर्थिक स्थिति और रोजगार

संतुलित आहार :- 

वह भोजन जिसमें शरीर की रचना, विकास तथा कार्यकुशलता के लिए सभी पोषक तत्व उचित अनुपात में पाए जाते है , संतुलित आहार कहलाता है |  

व्यक्तिगत तथा सामुदायिक स्वास्थ्य :- 

व्यक्तिगत तथा सामुदायिक समस्याएं दोनों स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं | 

  • स्वास्थ्य व्यक्तिगत नहीं एक सामुदायिक समस्या है और व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए सामुदायिक स्वच्छता महत्वपूर्ण एवं आवश्यक है | 
  • जीवों का स्वास्थ्य उसके पास पड़ोस या पर्यावरण पर निर्भर करता है |

रोग :- 

रोग वह शारीरिक और मानसिक दशा है जिसके कारण शरीर और मस्तिष्क ठीक तरह से कार्य नहीं कर पाते हैं अथवा धीरे-धीरे या अचानक कार्य करना बंद कर देते हैं | 

रोग का लक्षण :- 

          किसी अंग- तंत्र की संरचना में परिवर्तन परिलक्षित होना रोग का लक्षण कहलाता है | 

          लक्षणों के आधार पर चिकित्सक विशेष को पहचानता है और रोग की पुष्टि के लिए कुछ टेस्ट करवाता है | 

रोगों के कारण :- 

  • वायरस, बैक्टीरिया, कवक, प्रोटोजोआ और क्रीमी आदि | 
  • कुपोषण | 
  • आनुवंशिक विभिन्नता 
  • पर्यावरण प्रदूषण ( हवा, पानी आदि)
  • टीकाकरण का अभाव | 

Biology Class 9 Chapter 4 Notes in Hindi | Biology Class 9 Chapter 4 Notes in Hindi |

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रोग के प्रकार :- 

तीव्र :-  ऐसा रोग जो कम समय के लिए होते हैं , जैसे:-  सर्दी, जुकाम | 

दीर्घकालीन रोग :-  अधिक समय तक चलने वाले रोगों को दीर्घकालीन रोग कहते हैं  जैसे:-  कैंसर, क्षय रोग, फील पाँव | 

संक्रामक रोग :-  रोगाणु या सूक्ष्म जीवों द्वारा होने वाले रोगों को संक्रामक रोग कहते हैं | ऐसे रोग संक्रमित व्यक्ति से स्वास्थ्य व्यक्तियों में फैलते हैं | संक्रामक रोग के उत्पन्न करने वाले विभिन्न कारक हैं  जैसे:-  बैक्टीरिया, फंजाई , प्रोटोजोआ और क्रीमी | 

असंक्रामक :- ऐसा रोग जो पीड़ित व्यक्ति तक ही सीमित रहते हैं, जैसे:-  हृदय रोग, एलर्जी | 

  • अभाज्य जन रोग :-  यह रोग पोषक तत्वों के अभाव से होता है जैसे घेंघा , थायराइड | 
  • अपक्षयी रोग :-  गठिया
  • जन्मजात रोग :-  वह लोग जो व्यक्ति में जन्म से ही होते हैं यह अनुवांशिक आधार पर होते हैं जैसे :-  हीमोफीलिया इत्यादि | 

संक्रामक तथा असंक्रामक रोग में अंतर :- 

                संक्रामक रोग              असंक्रामक रोग
यह संक्रमित व्यक्ति से स्वास्थ्य व्यक्ति में फैलता है | 
यह रोगाणुओं के कारण उत्पन्न होता है | 
यह धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल सकता है | 
इसका उपचार एंटीबायोटिक के प्रयोग द्वारा किया जा सकता है | 
उदाहरण:-  सामान्य सर्दी, जुकाम | 
यह संक्रमित व्यक्ति से स्वास्थ्य में नहीं फैल सकता | 
यह जीवित रोगाणु से नहीं मृत रोगाणु वाले  कारकों के कारण फैलता है | 
यह समुदाय में नहीं फैलता | 
इसका उपचार एंटीबायोटिक के द्वारा नहीं किया जा सकता है | 
उदाहरण:-  उच्च रक्तचाप | 

रोगाणु :- 

बीमारी और संक्रमण पैदा करने वाले सूक्ष्मजीव होते हैं इन्हें संक्रामक कारक भी करते हैं | 

महामारी बीमारी:- 

      कुछ रोग एक जगह या समुदाय में बड़ी तीव्रता से फैलते हैं और बड़ी आबादी को संक्रमित करते हैं इसे महामारी कहते हैं  जैसे:-  हैजा, कोरोना | 

रोग फैलने के साधन :- 

             संक्रामक रोग पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने से स्वास्थ्य व्यक्ति में फैल जाते हैं |  सूक्ष्म जीव या संक्रामक कारक हमारे शरीर में निम्न साधनों द्वारा प्रवेश करते हैं :-  वायु के द्वारा , भोजन तथा जल के द्वारा , रोग वाहक द्वारा, लैंगिक संपर्क द्वारा | 

        वायु द्वारा :-  सीखने और खांसने से रोगाणु बाजू में फैल जाते हैं और स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं  जैसे:-  निमोनिया, क्षय रोग, सर्दी जुकाम | 

        जल और भोजन द्वारा :-  रोगाणु हमारे शरीर में संक्रमित जल व भोजन द्वारा प्रवेश कर जाते हैं  जैसे:- हैजा, अमीबीय , पेचिश आदि |  

         रैबिट संक्रमण पशु द्वारा :- संक्रमित कुत्ता, बिल्ली, बंदर के काटने से रेबीज संक्रमण होता है | 

         लैंगिक संपर्क द्वारा :-  कुछ रोग जैसे सिफलिस और एड्स रोगी के साथ लैंगिक संपर्क द्वारा    संक्रमित व्यक्ति में प्रवेश करता है | 

         एड्स के विषाणु :-  संक्रमित रक्त के स्थानांतरण द्वारा फैलता है, अथवा गर्भावस्था में रोगी माता से या स्तनपान कराने से शिशु को एड्स ग्रस्त होता है | 

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एड्स (AIDS) = (Acquired Immune deficiency Syndrome ) :- 

शरीर की प्रतिरोधक क्षमता या प्रतिरक्षा का कम हो जाना या बिल्कुल नष्ट हो जाना एड्स कहलाता है | यह एक भयानक रोग है | इसका रोगाणु HIV अपत्नीद्ध है | 

संचरण होने के कारण :- 

  • संक्रमित व्यक्ति का रक्त स्थानांतरण करने से | 
  • यौन संपर्क द्वारा | 
  • एड्स से पीड़ित मा से शिशु में गर्भ अवस्था में या स्तनपात द्वारा | 
  • संक्रमित इंजेक्शन की सुई का प्रयोग कई व्यक्तियों के लिए करना | 

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निवारण :-  

  • अनजान व्यक्ति से यौन संबंध से बचें | 
  • संक्रमित रक्त कभी भी ना चढ़ाएं | 
  • दाढ़ी बनाने के लिए नया ब्लड इस्तेमाल करें | 

अंग विशिष्ट तथा उत्तक :- 

रोगाणु विभिन्न माध्यमों से शरीर में प्रवेश करते हैं |  किसी उत्तक या अंग में संक्रमण उसके शरीर में प्रवेश के स्थान पर निर्भर करता है | यदि रोगाणु वायु के द्वारा नाक में प्रवेश करता है तो संक्रमण फेफड़ों में होता है, जैसे कि क्षय रोग (TB) मैं | 

             यदि रोगाणु मुंह से प्रवेश करता है,  तो संक्रामक आहार नाल में होता है जैसे कि खसरा का रोगाणु आहार नाल में और हेपेटाइटिस का रोगाणु यकृत में संक्रमण करता है | 

             विषाणु जनन अंगों में प्रवेश करता है लेकिन पूरे शरीर की लसिका ग्रंथियों में फैल जाता है और शरीर के प्रतिरक्षी संस्थान को हानि पहुंचाता है | 

             इसी प्रकार जापानी विषाणु मच्छर के काटने से त्वचा में प्रवेश करता है और मस्तिष्क को संक्रमित करता है | 

रोगों के उपचार के दो नियम :- 

  • रोग को कम करने के लिए उपचार
  • रोगाणु को मारने के लिए उपचार

रोग को कम करने के लिए उपचार :- 

पहले दवाई रोग के लक्षण दूर और कम करने के लिए दी जाती हैं जैसे:- बुखार, दर्द या दस्त आदि | हम आराम करके ऊर्जा का संरक्षण कर सकते हैं जो हमारे स्वास्थ्य होने में सहायक होंगे | 

रोगाणु को मारने के लिए उपचार :- 

रोगाणु को मारने के लिए एंटीबायोटिक दिया जाता है |  उदाहरण:-  जीवाणु को मारने के लिए एंटीबायोटिक या मलेरिया परजीवी को मारने के लिए सिनकोना वृक्ष की छाल से प्राप्त कुनैन का प्रयोग किया जाता है | 

एंटीबायोटिक :- 

एंटीबायोटिक वे रासायनिक पदार्थ हैं, जो सूक्ष्मजीव (जीवाणु, कवक  एवं मोल्ड ) के द्वारा उत्पन्न किए जाते हैं और जो जीवाणु की वृद्धि को रोकते हैं या उन्हें मार देते हैं |  जैसे:-  पेनिसिलिन , टेटरासाइक्लिन | 

        बहुत से जीवाणु अपनी सुरक्षा के लिए एक कोशिका भित्ति बना लेते हैं | एंटीबायोटिक कोशिका भित्ति की प्रक्रिया को रोक देते हैं और जीवाणु मर जाता है | 

निवारण के सिद्धांत :-

रोगों के निवारण के लिए दो विधियां है :-

सामान्य विधियां :- 

  • वायु में फैलने वाले संक्रमण या रोगों से बचने के लिए हमें भीड़ वाले स्थानों पर नहीं जाना चाहिए। 
  • पानी से फैलने वाले रोगों से बचने के लिए पीने से पहले पानी को उबालना चाहिए।
  • इसी प्रकार, रोग वाहक सूक्ष्म जीवों द्वारा फैलने वाले रोगों, जैसे मलेरिया से बचने के लिए अपने आवास के पास मच्छरों को पनपने नहीं देना चाहिए। 

रोग विशिष्ट विधियां :- 

रोगों की रोकथाम का उचित उपाय :-

प्रतिरक्षीकरण या  टीकाकरण :-

इस विधि में रोगाणु स्वास्थ्य शरीर के शरीर में डाल दिए जाते हैं | रोगाणु के प्रवेश करते हैं प्रतिरक्षा तंत्र ‘ धोखे’ में आ जाता है और उस रोगाणु से लड़ने वाली विशिष्ट कोशिकाओं का उत्पादन का आरंभ कर देता है |  इस प्रकार रोगाणु को मारने वाले विशिष्ट कोशिकाएं शरीर में पहले से ही निर्मित हो जाती हैं और जब रोग का रोगाणु वास्तव में शरीर में प्रवेश करता है तो रोगाणु से यह विशिष्ट कोशिकाएं लड़ती है और उसे मार देती हैं | 

  •  टेटनस, डिप्थीरिया, पोलियो, चेचक, क्षय रोग के लिए टीके उपलब्ध है |     
  • बच्चों को DPT का टीका  डिप्थीरिया, कुकर खांसी और टिटनेस के लिए किया जाता है | 
  • हेपेटाइटिस ‘A ‘ के लिए टीका उपलब्ध है | 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को दिया जाना चाहिए। 
  • रेबीज का विषाणु कुत्ते, बिल्ली, बंदर तथा खरगोश के काटने से फैलता है | रेबीज का प्रतिरक्षी मनुष्य तथा पशु के लिए उपलब्ध है | 

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