BSEB Chemistry Class 9 Chapter 2 Notes in Hindi | क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध है | Top Science Notes |
यह पोस्ट हम आपके लिए लाए हैं |Chemistry Class 9 Chapter 2 Notes in Hindi | दोस्तों इस Chapter का नाम है क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध है(Is Matter around Pure) है |इस पोस्ट में हमने 9th क्लास के Chapter 2 के एक छोटा सा नोट्स तैयार किया है | जिससे पढ़कर आप आसानी से कम समय में परीक्षा की तैयारी अच्छे से कर सकते हैं | और अच्छा मार्क्स लाकर प्रथम श्रेणी पा सकते हैं | Chemistry Class 9 Chapter 2 Notes in Hindi |
Chemistry Class 9 Chapter 2 Notes in Hindi | क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध है |Top Science Notes |
शुद्ध पदार्थ(Pure Substance):-
ऐसा पदार्थ जो सिर्फ एक ही प्रकार के कणों से मिलकर बना होता है| जैसे:- हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन, सल्फर, पारा, जल, बर्फ इत्यादि|
अशुद्ध पदार्थ(Impure Substances):-
ऐसा पदार्थ जो दो या दो से अधिक प्रकार के कणों से मिलकर बना होता है ,उसे अशुद्ध पदार्थ कहते हैं| जैसे:- समुद्र का जल, नल का जल, इत्यादि |
मिश्रण क्या है? (What is Mixture ?):-
दो या दो से अधिक तत्व अथवा योगी को से मिलकर बने पदार्थ को मिश्रण कहते हैं | जैसे:- हवा एक मिश्रण है| यह नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, आर्गन, कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प, एवं अन्य पदार्थ का मिश्रण है |
मिश्रण के प्रकार:-
मिश्रण दो प्रकार के होते हैं|
- समांगी मिश्रण
- विषमांगी मिश्रण
समांगी मिश्रण:-
वे मिश्रण जिनमें पदार्थ परस्पर पूर्ण रूप से मिश्रित होते हैं और एक दूसरे से अभी भेद होते हैं,समांगी मिश्रण कहलाते हैं | जैसे:- जल में शर्करा समांगी मिश्रण है |
विषमांगी मिश्रण:-
वह मिश्रण जिसमें पदार्थ पृथक रहते हैं और एक पदार्थ छोटे कणों, छोटी-छोटी बूंदों अथवा बुलबुले के रूप में, दूसरे पदार्थ में हर जगह फैला रहता है, विषमांगी मिश्रण कहलाते हैं |जैसे:- शक्कर और बालू का मिश्रण एक विषमांगी मिश्रण है |
समांगी एवं विषमांगी मिश्रण में अंतर |
समांगी मिश्रण | विषमांगी मिश्रण |
(1)समांगी मिश्रण वैसे मिश्रण को कहते हैं, जिसमें अवयवी पदार्थों का संघटन समान होता है | (2)यह प्रायः शुद्ध पदार्थों का बना होता है | (3) इसमें उपस्थित अवयवों को नहीं देखा जा सकता | (4)सभी विलयन एवं मिश्र धातु समांगी मिश्रण है | जैसे:- चीनी एवं जल का मिश्रण, नमक एवं जल का मिश्रण, इत्यादि | | (1)विषमांगी मिश्रण वैसे मिश्रण को कहते हैं, जिसमें अवयवी पदार्थों का संघटन एक समान नहीं होता है | (2)यह प्रायः अशुद्ध पदार्थों से बना होता है | (3)इसमें उपस्थित अवयव को देखा जा सकता है | (4) विलयन एवं मिश्र धातु को छोड़कर लगभग सभी मिश्रण, विषमांगी होते हैं| जैसे:- बालू एवं लोहे की छीलन | |
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विलयन क्या है?(What is a Solutions?) :-
बिलियन दो या दो से अधिक पदार्थों का समांगी मिश्रण है | जैसे:- नींबू जाल, सोडा जाल इत्यादि|
विलयन के प्रकार :-
बिलयन दो प्रकार के होते हैं |
- विलेय
- विलायक
विलेय :-
बिलियन का वह घटक जो कम मात्रा में उपस्थित होता है विलेय कहलाता है |
विलायक:-
बिलियन का वह घटक जो अधिक मात्रा में उपस्थित होता है,विलायक कहलाता है |
विलयन के गुणधर्म(Properties of a Solution)
- विलयन एक समांगी मिश्रण है |
- बिलियन के कारण ब्यास में 1 nm से भी छोटे होते हैं| इसलिए उन्हें नंगी आंख से देखा नहीं जा सकता |
- विलयन के कण छन्ना पत्र से पार कर जाते हैं,इसलिए विलयन के कणों को जानने की विधि द्वारा अलग नहीं किया जा सकता है |
- बिलयन अस्थाई होता है, अर्थात बलियन केक और पृथक होकर नीचे नहीं बैठते हैं |
विलयन की सांद्रता :-
किसी विलयन के प्रति लीटर आयरन में विलेय पदार्थ की मात्रा को है विलयन की सांद्रता कहते हैं |
संतृप्त विलयन:-
दिए गए निश्चित तापमान पर यदि विलयन में विलेय पदार्थ नहीं खुलता है तो उसे संतृप्त विलयन कहते हैं |
असंतृप्त विलयन :-
वैसा विलयन जिसके विलायक में उसी ताप पर और विलेय घुलने की क्षमता होती है , उसे असंतृप्त विलयन कहते है |
अतिसंतृप्त विलयन:-
यदि विलयन में विलेय पदार्थ की सांद्रता, संतृप्त और स्तर से अधिक हो तो उसे अतिसंतृप्त विलयन कहते हैं |
निलंबन :-
निलंबन एक विषमांगी मिश्रण है जिसमें विलेय पदार्थ के कण घुलते नहीं , अपितु माध्यम की समस्ती में निलंबित रहते हैं | यह निलंबित कण आंखों से देखे जा सकते हैं | जैसे:- आटा जल मिश्रण, बालू जल मिश्रण इत्यादि |
निलंबन के गुणधर्म :-
- यह एक विषमांगी मिश्रण है |
- इसके कण आंखों से देखे जा सकते हैं |
- इसके कणों का व्यास 100 mm से ज्यादा होता है |
- यह निलंबित कार्ड प्रकाश किरण को फैला देता है, जिससे उसका मार्ग दृष्टिगोचर हो जाता है |
कोलाइड विलयन क्या है:-
वह विलयन जिसमें घोड़ों का आकार 1 nm 100 nm के बीच हो, कोलाइडी विलयन कहलाता है | जैसे:- स्टार्च विलयन, दूध, रक्त इत्यादि |
कोलाइड के गुणधर्म :-
- एक विषमांगी मिश्रण है |
- इसके कारण आंखों से दिखाई नहीं देते हैं|
- जब इनको शांत छोड़ दिया जाता है तब ये कण तल पर बैठते हैं अर्थात ये स्थाई होते हैं |
टिंडल प्रभाव क्या है?
कोलाइड कणों द्वारा प्रकाश की किरण का फैलना टिंडल प्रभाव कहलाता है |
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विलयन, निलंबन एवं कोलाइड में अंतर |
विलयन | निलंबन | कोलाइड |
(1)यह स्थाई होता है | (2) इसके कणों का व्यास 1 एमएम से छोटा होता है | (3) इसके कणों को आंखों द्वारा नहीं देखा जा सकता है | (4) इसके कण प्रकाश किरण को फैलाते नहीं है | (5) इसके कौन छन्ना पत्र से आर-पार निकल जाते हैं | | (1)यह अस्थाई होता है | (2) इसके कणों का व्यास 100 एमएम से बड़ा होता है (3) इसके कणों को आंखों द्वारा देखा जा सकता है | (4)इसके कण प्रकाश किरण को फैलाते हैं | (5)इसके कण छन्ना पत्र से आर पार नहीं निकलते हैं | | (1)यह स्थाई होता है | (2) इसके कणों का व्यास 1 NM 100 nm के बीच होता है | (3) इसके कणों को आंखों द्वारा नहीं देखा जा सकता है | (4) इसके कण प्रकाश किरण को फैलाते हैं | (5) इसके कण छन्ना पत्र से आर पार निकल जाते हैं | |
Chemistry Class 9 Chapter 2 Notes in Hindi | Chemistry Class 9 Chapter 2 Notes in Hindi |
मिश्रण को पृथक करने के तरीके :-
1. वाष्पीकरण :-
मूल उद्देश्य:- मिश्रण के दो पदार्थों में से एक पदार्थ का वाष्पीकरण होना ( जैसे एक पदार्थ का क्वथनांक दूसरे से कम होना) है |
वाष्पन के अनुप्रयोग : –
- समुद्री जल से बड़े पैमाने पर नमक तैयार करने में |
- शर्करा विलयन से ठोस शक्कर पृथक करने में |
2. अप केंद्रीकरण:-
मूल उद्देश्य:- कण या पदार्थों के घनत्व के कारण पृथक्करण जब किसी पदार्थ को तेजी से घुमाया जाता है तो भारी कण नीचे की तरफ दबाव डालते हैं तथा हल्के कण ऊपर चले जाते हैं |
अपकेंद्रण का अनुप्रयोग ➖
- दूध से क्रीम निकालने की प्रक्रिया में |
- कपड़ा धोने की मशीन में गीले कपड़े से जल निचोड़ने में |
- जांच प्रयोगशाला में रक्त और मूत्र की जांच में |
- दही से मक्खन निकालने में |
3. पृथक्करण कीप :-
मूल उद्देश्य:- दो अघुलनशील द्रव को आसानी से पृथक कीप द्वारा अलग कर सकते हैं | पृथक कारी कीप का स्टॉप कार्क खोलने से पानी दूसरे विकर में इकट्ठा कर सकते हैं तथा दूसरे विकर में बच्चा तेल इकट्ठा कर सकते हैं |
पृथक्करण का अनुप्रयोग
- पारा जल एवं बेंजीन के मिश्रण को पृथक करने में।
4. ऊर्ध्वपातन विधि :-
मूल सिद्धांत :- दो पदार्थों के बीच एक पदार्थ उर्फ पाती तो हो जाता है जबकि दूसरा ऐसे ही रहता है |
उर्ध्वपातन के अनुप्रयोग
- आयोडीन, कपूर, नेप्थलीन और एन्थ्रासीन का साधारण नमक, बालू, लोहे की चूर्ण, चौक, इत्यादि मिश्रण से पृथक करने में |
5. आसवन विधि :-
मूल सिद्धांत:- दोस्तों घटकों के बीच एक का क्वथनांक दूसरे से कम होता है। यह विधि दो या दो से अधिक घुलनशील द्रवों को अलग करने के लिए किया जाता है |
क्रिस्टलीकरण का अनुप्रयोग
- अशुद्ध नमूने से कॉपर सल्फेट, फिटकरी आदि को पृथक करने में |
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भौतिक परिवर्तन:-
वह परिवर्तन जिसमें पदार्थ की अवस्थाओं का अंतः रूपांतरण तो होता है , परंतु पदार्थ के संघटन तथा रासायनिक प्रकृति में कोई परिवर्तन नहीं होता , भौतिक परिवर्तन कहलाता है | जैसे:- जल का नमक में घूम लेना, बल्ब जलाना इत्यादि
रासायनिक परिवर्तन :-
वे परिवर्तन जिनमें एक या अधिक पदार्थ, किसी अन्य परिवर्तन में परिवर्तित हो जाते हैं, रासायनिक परिवर्तन कहलाता है | जैसे:- लोहे पर जंग लगना, कार्बन का जलकर कार्बन डाइऑक्साइड बन्ना |
Chemistry Class 9 Chapter 2 Notes in Hindi | Chemistry Class 9 Chapter 2 Notes in Hindi |
भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन में अंतर |
भौतिक परिवर्तन | रासायनिक परिवर्तन |
(1)इसमें कोई नया पदार्थ नहीं बनता है | (2) यह का अस्थाई परिवर्तन है | (3)यह उत्क्रमणीय होता है | (4) इसमें पदार्थ परिवर्तित नहीं होता है | | (1) इसमें हमेशा नया पदार्थ बनता है | (2)यह एक स्थायी परिवर्तन है | (3)यह अनुक्रमणीय होता है | (4)इसमें पदार्थ परिवर्तित होते हैं | |
तत्व:-
पदार्थ का वह मूल रूप, जिसे रासायनिक अभिक्रिया द्वारा अन्य सरल पदार्थों में विभाजित नहीं किया जा सकता है, तत्व कहलाता है | जैसे:- तांबा, लोहा, चांदी आदि|
तत्वों का वर्गीकरण:-
तत्वों को धातु, तथा अधातु में वर्गीकृत किया जाता है|
धातु:-
वह तत्व जो सामान्य अभीक्रियाओं में अपने परमाणुओं से एक अथवा अधिक इलेक्ट्रॉन का त्याग करते हैं,धातु कहलाते हैं | जैसे:- लोहा, तांबा, चांदी, इत्यादि|
धातुओं के गुणधर्म
- ये चमकदार होती हैं।
- ये चांदी या सोने की तरह सफेद या पीले रंग की होती है।
- ये तन्य होती है |
- ये प्रतिध्वनि पूर्ण होती है।
अधातु:-
वे तत्व, जो सामान्य अभीक्रियाओं में दूसरे तत्व के परमाणुओं से इलेक्ट्रॉन ग्रहण करते हैं, अधातु कहलाते हैं | जैसे:- ऑक्सीजन, क्लोरीन, आयोडीन, इत्यादि|
अधातुओं के गुणधर्म
- ये विभिन्न रंगों के होती है |
- ये पाप और विद्युत के कुचालक होती हैं |
- इसके गलनांक एवं क्वथनांक निम्न होते हैं |
- ये सामान्यतः मृदु होते हैं |
यौगिक :-
वह पदार्थ जो दो या दो से अधिक तत्व के नियत अनुपात में रासायनिक तौर पर संयोजन से बनता है, यौगिक कहलाता है | जैसे:- चीनी, नमक, जल इत्यादि|
मिश्रण तथा यौगिक में अंतर |
मिश्रण | यौगिक |
मिश्रण के बनने में ऊष्मा परिवर्तन आवश्यक नहीं है | कोई नया पदार्थ नहीं बनता है | किसी नए पदार्थ का निर्माण नहीं करते हैं | मिश्रण का बनना भौतिक परिवर्तन है | मिश्रण में उसके अवयवों का गुण उपस्थित रहता है | मिश्रण का गलनांक एवं क्वथनांक अनिश्चित होते हैं | | यौगिक हमेशा समांगी होता है | योगी के निर्माण में ऊष्मा परिवर्तन आवश्यक है | नए पदार्थ के गुणधर्म पूरी तरह भिन्न होते हैं | घटकों को लेकर रासायनिक या विद्युत रासायनिक प्रक्रिया द्वारा ही पृथक किया जा सकता है | योगी का एक निश्चित सूत्र होता है | |
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