Physics Class 9 Chapter 2 Notes in Hindi | गति का वर्णन | Best Notes For 9th Class | 

BSEB Physics Class 9 Chapter 2 Notes in Hindi | गति का वर्णन | Best Notes For 9th Class |

दोस्तों यह पोस्ट 9th क्लास के बच्चों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है | Physics Class 9 Chapter 2 Notes in Hindi | इस Chapter का नाम “ गति का वर्णन” (Describing Motion) है |  इस Chapter में “गति”  से जुड़े लगभग सभी पॉइंट्स परिभाषा के द्वारा परिभाषित किया गया है | जो 9th क्लास के छात्रों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है | इस पोस्ट को लिखने का कारण यह है कि जो छात्र अच्छे से क्लास नहीं कर पाए हैं वह इस पोस्ट को कम से कम समय में पढ़कर अच्छे तैयारी कर सकते हैं और क्लास में टॉप कर सकते हैं | Physics Class 9 Chapter 2 Notes in Hindi |

Physics Class 9 Chapter 2 Notes in Hindi | गति का वर्णन | Best Notes For 9th Class | 

गति :- 

यदि वस्तु के चारों तरफ से वातावरण के सापेक्ष वस्तु की स्थिति बदल जाती है तो वस्तु में गति होती हैं |

जैसे:-  दौड़ता हुआ बालक, नाचती हुई लड़कियां इत्यादि | 

मूल बिंदु :- 

किसी वस्तु की स्थिति को बताने के लिए हमें एक निर्देश बिंदु की आवश्यकता होती है जिसे मूल बिंदु कहा जाता है | 

भौतिक अवस्था :- 

भौतिक अवस्था के दो प्रकार होती हैं | 

  • विरामावस्था
  • गतिजअवस्था

विरामावस्था :- 

कोई वस्तु विराम अवस्था में तब कहलाती हैं जब वह किसी अन्य बिंदु के सापेक्ष कोई बदलाव न हो | 

गतिज अवस्था :- 

यदि किसी वस्तु में लगातार बदलाव हो तब वह वस्तु गतिज अवस्था में होती है | 

भौतिक राशि (Physical Quantity):- 

वह राशियां जिन्हें मापा जा सकता है वह भौतिक राशियां कहलाती है मूल भौतिक राशियों की संख्या सात है।  भौतिक राशि के दो भाग होते हैं पहला उसका परिणाम और दूसरा उसकी इकाई।

भौतिक राशियों का विभाजन :- 

भौतिक राशियों को दो वर्गों में रखा गया है | 

  • अदिश राशि
  • सदिश राशि

अदिश राशि :- 

यदि किसी भौतिक इकाई का केवल परिमाण हो और दिशा ना हो तो वह अदिश राशि  कहलाते हैं |  जैसे:-  किसी वस्तु का द्रव्यमान 5 Kg है | इसका अर्थ है संख्या 5  परिमाण का बोध कराता है जबकि kg  द्रव्यमान के मात्रक को दर्शाता है |

उदाहरण :-  लंबाई, द्रव्यमान, समय, ताप, कार्य, शक्ति, दूरी, आयतन इत्यादि |  

सदिश राशि :- 

ऐसी भौतिक इकाइयां जिसमें परिवार के साथ साथ दिशा का ज्ञान होता है वह सदिश राशि कहलाती है | उदाहरण:-  विस्थापन,वेग , त्वरण, बल , संवेग,  आवेग, इत्यादि |

अदिश तथा सदिश में अंतर :- 

                          अदिश                         सदिश 
(1) इसमें केवल परिमाण होता है | 
(2) यह  बीजीय नियम का पालन करता है | अर्थात  समान मात्रक वाली राशि परस्पर जोड़ी घटाई जा सकते हैं |

(3) अदिश राशि को व्यक्त करने के लिए किसी विशेष निरूपण की आवश्यकता नहीं होती हैं | 
(1) इसमें परिमाण के साथ-साथ दिशा का ज्ञान होता है | 
(2)यह सदिश योग के नियम का पालन करता है |
(3)सदिश राशि को व्यक्त करने के लिए माथे पर तीर निशान का उपयोग किया जाता है | 

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दूरी :- 

किसी वस्तु द्वारा तय किए गए रास्ते के वास्तविक लंबाई, उस वस्तु द्वारा तय की गई दूरी कहलाती है|  अर्थात दूरी समय के साथ स्थान परिवर्तन है | 

इसे प्रायः ‘s’  से सूचित किया जाता है|  इसका S.I  मात्रक मीटर तथा C.G.S मात्रक सेंटीमीटर होता है |  यह एक अदिश राशि है | 

विस्थापन :- 

किसी वस्तु की प्रारंभिक एवं अंतिम स्थिति के बीच न्यूनतम दूरी का मापन विस्थापन कहलाता है | 

विस्थापन एक सदिश राशि है जिसका मापन और दिशा दोनों होती हैं |इसे प्रायः ‘s’  या ‘d’  से सूचित किया जाता है |  इसका S.I मात्रक  मीटर होता है | 

दूरी तथा विस्थापन में अंतर :- 

                        दूरी                    विस्थापन
(1) वस्तु द्वारा तय किए गए रास्ते की लंबाई को दूरी कहते हैं | 
(2) यह एक अदिश राशि है | 
(3)तय की गई दूरी हमेशा धनात्मक होती हैं | 
(4) तय की गई दूरी या तो विस्थापन के समान या विस्थापन से बड़ा होता है | 
(1) वस्तु के प्रारंभिक एवं अंतिम स्थिति के बीच की न्यूनतम दूरी को विस्थापन कहते हैं | 
(2)यह एक सदिश राशि है | 
(3) विस्थापन धनात्मक या ऋणात्मक या शून्य हो सकता है | (4)तय किया गया विस्थापन, तय की गई दूरी के समान उस दूरी से कम होती हैं | 

एक समान गति :- 

यदि कोई वस्तु समान समय अंतराल में समान दूरी तय करें तो वह एक समान गति से विचरण कर रहा है | जैसे:-  घड़ी की सुईयों की गति | 

असमान गति :- 

यदि कोई अलग-अलग दूरी अलग-अलग समय में पूरे करें तब वह असमान गति से विचरण कर रही होती है |  जैसे:-  व्यस्त सड़क पर कार की गति | 

चाल (Speed) :- 

गति के दर का मापन चाल कहलाता है |  वस्तु की चाल का उसके द्वार चली गई दूरी को समय से भाग देकर प्राप्त किया जा सकता है | 

  • चाल अदिश राशि है जिसका केवल मापन होता है, दिशा रहित होती है |
  • चाल का S.I  मात्रक मीटर प्रति सेकंड होता है | (ms-1)
  • C.G.S मात्रक सेंटीमीटर प्रति सेकंड (cm sec-1  )होता है | 

औसत चाल चल :- 

वस्तु के औसत चाल, कुल तय की गई दूरी और कुल लिए गए समय के अनुपात को औसत चाल कहते हैं |

 औसत चाल= कुल दूरी/ कुल समय यदि एक वस्तु t समय में दूरी तय करती हैं तो उसकी S चाल

    V =s/t

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चाल के प्रकार :- 

  • एक समान चाल:- जब कोई वस्तु समान समय अंतराल में समान दूरी तय करती है तो सामान चाल कहलाते हैं | 
  • असमान चाल :- जब कोई वस्तु समान समय अंतराल में असामान दूरी तय करती है तो असमान चाल कहलाते हैं

वेग :- 

इकाई समय में तय किया गया विस्थापन वेग कहलाता है। |  दिशा युक्त चाल को वेग कहते हैं

    वेग एक सदिश राशि है | इसका S.I मात्रक m. sec-1 होता है |  

  • वेग V से निरूपित किया जाता है | 
  • V  एक रेखीय गति में औसत वेग की गणना औसत चाल के अनुरूप होते हैं | 
  • वेग स्राणात्मक , धनात्मक एवं  0 भी हो सकता है | 

औसत वेग =कुल विस्थापन/ कुल समय 

औसत वेग :- 

भिन्न भिन्न समय अंतराल में तय किए गए कुल विस्थापन एवं उसमें लगे समय के अनुपात को औसत वेग कहते हैं | 

वेग और चाल में अंतर :- 

                          वेग                           चाल
(1)यह सदिश राशि है | 
(2)वेग ऋणात्मक, धनात्मक हो सकता है | 
(3)औसत वेग शून्य हो सकता है | 
(4)एक समान वृत्तीय गति में वेग चर रहता है | 
(1) यह अदिश राशि है | 
(2)यह हमेशा धनात्मक होता है | 
(3) चलती वस्तु के चाल कभी 0 नहीं हो सकती | 
(4) एक समान वृत्तीय गति में चाल अचर  रहता है | 

त्वरण :- 

असमान गति की स्थिति में त्वरण होता है | 

त्वरण एक सदिश राशि है | इसका S.I  मात्रक m.sec-2होता है |   

[ नोट :-

  • यदि वस्तु का वेग समय के साथ जैसे -जैसे बढ़ता है तो त्वरण का मान धनात्मक होता है। 
  • ऋणात्मक त्वरण को मंदन कहा जाता है | यदि वस्तु का वेग एक समान रहता है तो त्वरण का मान  0 होता है | 

त्वरण के प्रकार :- 

एक समान त्वरण :- 

यदि वस्तु का समान समय में समान वेग परिवर्तित होता है तो वस्तु एक समान त्वरण में है | 

असमान त्वरण:- 

यदि वस्तु का समान समय में असमान वेग परिवर्तित होता है तो उस वस्तु को असमान त्वरण कहते हैं | 

ग्राफ :- 

दो परिवर्तनशील राशियों के बीच चित्रित प्रदर्शन ग्राफ कहलाता है | उन परिवर्तनशील राशियों में एक राशि को x- अक्ष पर तथा दूसरी राशि को y – अक्ष पर दर्शाया जाता है | 

एक समान वृत्तीय गति :- 

यदि कोई वस्तु वृत्तीय पथ में एक समान गति से विचरण करती हैं तो ऐसी गति को एक समान वृत्तीय गति कहा जाता है |  

   वेग की दिशा किसी भी वृत्तीय गति में स्पर्श रेखा के समान होती हैं |  V =2 r /t

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