Physics Class 9 Chapter 4 Notes in Hindi | गुरुत्वाकर्षण | Best Notes in Hindi | 

BSEB Physics Class 9 Chapter 4 Notes in Hindi | गुरुत्वाकर्षण | Best Notes in Hindi | 

दोस्तों यह पोस्ट बहुत ही महत्वपूर्ण है | Physics Class 9 Chapter 4 Notes in Hindi | दोस्तों इस Chapter  का नाम “ गुरुत्वाकर्षण” (Gravitation) है | दोस्तों इस पोस्ट में गुरुत्वाकर्षण बल से जुड़े लगभग सारे पॉइंट्स परिभाषा के द्वारा परिभाषित किया गया है | जो बच्चा  अच्छा से क्लास नहीं किया है तो वह इस नोट्स से कम से कम समय में अच्छे से तैयारी कर सकता है | और अच्छा रिजल्ट ला सकता है | Physics Class 9 Chapter 4 Notes in Hindi |

Table of Contents

Physics Class 9 Chapter 4 Notes in Hindi | गुरुत्वाकर्षण | Best Notes in Hindi | 

गुरुत्वाकर्षण बल :- 

वह बल जो किसी भी वस्तु को धरती के केंद्र की तरफ खींचता है |  वह पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल कहलाता है | 

 न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम :- 

 सर आइज़क न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण का नियम दिया, जिसे उन्होंने 1687 में प्रतिपादन किया था | 

            न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम के अनुसार, दो पिंडों के बीच गुरुत्वाकर्षण बल उनके द्रव्यमानो  के गुणनफल का अनुक्रमानुपाती और उनके बीच की दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है | 

           X यदि दो पिंडों का द्रव्यमान m1और m2 हो और उनके बीच की दूरी (k) हो, तो उनके बीच का गुरुत्वाकर्षण बल Fm1 m2/d2 या F=Gm1 m2/d2   

केप्लर का ग्रहीय गति नियम :- 

16 वीं शताब्दी तक अनेक खगोल शास्त्री ने ग्रहों की गति संबंधी अनेक आंकड़े एकत्रित कर लिए थे |  जोहांस  केप्लर ने इन आंकड़ों के आधार पर तीनों नियमों का प्रतिपादन किया जिन्हें केप्लर का नियम कहा जाता है |  केप्लर का ग्रहीय गति नियम इस प्रकार हैं  :- 

  • केप्लर का प्रथम नियम
  • केप्लर का द्वितीय नियम
  • केप्लर का तृतीय नियम

केप्लर का प्रथम नियम :- 

प्रत्येक ग्रह की कक्षा एक दीर्घ वृत्त होती है और सूर्य इस दीर्घ वृत्त के एक फोकस पर होता है | 

केप्लर का द्वितीय नियम :- 

समान समय में समान क्षेत्रफल तय करने वाली रेखा सूर्य तथा ग्रह को मिलाते हैं |  

केप्लर का तृतीय नियम :- 

सूर्य के किसी ग्रह की औसत दूरी(r) का घन (cube) उस ग्रह के सूर्य के परितः परिक्रमण काल (t ) के वर्ग का समानुपाती होता है | 

गुरुत्वाकर्षण का नियम :- 

   (1)दो वस्तुओं के बीच बल उनके द्रव्यमानों के गुणनफल अनुमान पाती होता है | 

     अर्थात = Fm1 m2

   (2)दो वस्तुओं के बीच बल उनके बीच दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है | 

    अर्थात=F1/d2

      (1) और (2) को संयुक्त करने पर 

  • F की इकाई = Newton
  • m की इकाई=kg
  • d की इकाई =m

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गुरुत्वाकर्षण बल :- 

  • जहां पर G सर्वाधिक गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक वाला आता है | 
  •  इसका मान किन्हीं भी 2 वस्तुओं के लिए सभी स्थानों पर समान होता है | 
  • G को सार्वत्रिक स्थिरांक होते हैं, क्योंकि इसका मान मध्यवर्ती माध्यम की प्रकृति या तापमान या अन्य किसी प्रतिवर्त पर निर्भर नहीं करता है | 

न्यूटन के गति का तृतीय नियम और गुरुत्वाकर्षण 

न्यूटन के तीसरे नियम के अनुसार :- 

प्रत्येक क्रिया के बराबर एवं विपरीत प्रतिक्रिया होती हैं | 

गुरुत्वाकर्षण एवं न्यूटन के नियम के अनुसार :- 

हर एक वस्तु इस ब्रह्मांड में हर दूसरी वस्तु को आकर्षित करती है | स्वतंत्र रूप से गिरा पत्थर और धरती एक दूसरे को आकर्षित करते हैं |

गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम का महत्व :- 

  • हमें पृथ्वी से बांधे रखने वाला बल 
  • पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की गति 
  • सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति
  • चंद्रमा और सूर्य के कारण ज्वार भाटा

मुक्त पतन :-

कोई भी वस्तुएं पृथ्वी की ओर केवल गुरुत्व बल के कारण गिरती है और इस घटना को मुक्त पतन कहते हैं | 

    मुक्त पतन में, वस्तु के वेग की दिशा में कोई परिवर्तन नहीं होता है क्योंकि वह हमेशा पृथ्वी की तरफ गिरता है |  लेकिन वस्तु के वेग के परिमाण में परिवर्तन होता है | 

गुरुत्वीय त्वरण :- 

पृथ्वी के गुरुत्व बल के कारण उत्पन्न त्वरण जिससे कोई वस्तु पृथ्वी की ओर आकर्षित होती हैं, गुरुत्वीय त्वरण कहलाता है | 

     इसे ‘g ‘  से प्रदर्शित किया जाता है तथा इसकी दिशा सदैव और पृथ्वी के केंद्र की तरफ होती हैं | 

गुरुत्वीय त्वरण और गुरुत्वीय स्थिरांक में अंतर :- 

गुरुत्वीय त्वरण गुरुत्वीय स्थिरांक
(1) इसका मान 9.8m/s2 होता है | (2) इसका मान भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न होता है | (3)इसका मात्रक m/s2 है | (4)यह एक सदिश राशि है | (1)इसका मान 6.6734*10-11Nm2kg2 होता है | (2)इसका मान सदैव स्थिर होता है | (3)इसका मात्रक Nm2/kg2 है | (4)यह एक अदिश राशि है | 

द्रव्यमान :- 

किसी वस्तु में निहित पदार्थ का परिमाण द्रव्यमान कहलाती है या किसी वस्तु के जड़त्व की माप द्रव्यमान कहलाती है | 

         यह एक अदिश राशि है इसका सिर्फ परिमाण होता है, दिशा नहीं होती है |S.I मात्रक किलोग्राम होता है जिसे ‘kg’  से प्रदर्शित किया जाता है | 

  •  द्रव्यमान को ‘m’  से सूचित जाता है | 
  •  किसी स्थान पर द्रव्यमान ( किसी भी वस्तु का) शून्य नहीं होता है | 

भार :- 

किसी वस्तु का भार वह बल है जिससे पृथ्वी उसे अपनी ओर आकर्षित करती हैं | 

  • बल= द्रव्यमान*  त्वरण
  • F=m*a 
  • F=m*g (लेकिन पृथ्वी द्वारा आरोपित बल भार कहलाता है |  इसे ‘w’ से प्रदर्शित किया जाता है | 
  • w=m*g

द्रव्यमान और भार में अंतर :- 

                        द्रव्यमान                              भार
(1)किसी वस्तु में निहित कुल द्रव्य की मात्रा वस्तु का द्रव्यमान कहलाते हैं | (2) वस्तु का द्रव्यमान हर एक जगह नियत रहता है | (3) यह एक अदिश राशि है |(4)द्रव्यमान का महत्व भौतिक तुला द्वारा करते हैं | (5) किसी वस्तु के द्रव्यमान की माप हम वस्तु के जड़त्व की माप से करते हैं |  (1) जिस गुरुत्वीय बल से पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केंद्र की ओर खींचती है ,वह वस्तु का भार कहलाता है| (2) वस्तु का भार भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न होता है | (3) भार का माप कमानीदार तुला द्वारा करते हैं|  (4)भार एक सदिश राशि है | (5) किसी वस्तु का भार शून्य हो सकता है जैसे पृथ्वी के केंद्र पर | 

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‘g’ को प्रभावित करने वाले कारक :- 

 पृथ्वी एक पूर्ण गोला नहीं है |  पृथ्वी की त्रिज्या ध्रुवों से विषुवत वृत्त की ओर जाने पर बढ़ती है,  इसलिए g  का मान ध्रुवों पर विषुवत वृत्त की अपेक्षा अधिक होता है |  अधिकांश गड़नाओं के लिए पृथ्वी के पृष्ठ पर या इसके पास g के मान को लगभग स्थिर मान सकते हैं लेकिन पृथ्वी से दूर की वस्तु के लिए पृथ्वी के गुरुत्व बल g  के कारण त्वरण समीकरण GM/d2 से ज्ञात किया जा सकता है | 

अंतरिक्ष में फेंकी गई वस्तु लगातार पृथ्वी के चारों ओर किस प्रकार घूमती हैं ? 

यह संभव है कि किसी वस्तु को पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करने पर बाध्य किया जा सकता है |  हम जानते हैं कि जैसे-जैसे वस्तु की आरंभिक चाल बढ़ती जाती हैं, वैसे वैसे बस तू भी पृथ्वी की सतह के साथ अधिक वक्र होती जाती हैं | 

       पृथ्वी के गोलाकार होने के कारण उसकी सतह तक आने के लिए और अधिक दूरी तय करनी पड़ती है |  यदि आरंभिक चाल का मान एक निश्चित मान से अधिक कर दिया जाए वह वस्तु लगातार गिरती जाएगी लेकिन पृथ्वी की सतह तक कभी नहीं पहुंचेगी और ऐसी वस्तु लगातार पृथ्वी के चारों ओर घूमती रहेगी | 

दाब :- 

प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाला बल, दाब कहलाता है | 

  • दाब का S.I  मात्रक = न्यूटन प्रति वर्ग मीटर (N/m2) होता है | 
  • दाब  अदिश राशि है | 
  • न्यूटन प्रति वर्ग मीटर को पास्कल भी कहते हैं |  इसे संक्षेप में Pa  से सूचित किया जाता है | 

प्रणोद :- 

किसी वस्तु की सतह के लंबवत लगने वाला बल, प्रणोद कहलाता है | 

तरल :- 

सभी द्रव और गैसें  तरल कहलाती है | ये  सभी दिशाओं में दाब लगाती हैं | 

उत्प्लावन :- 

जब कोई वस्तु किसी तरल में डूबाई जाती है तो वस्तु का भार जो पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण होता है, वस्तु को नीचे की ओर व तरल उसपर ऊपर की तरफ बल लगाता है | 

     उत्प्लावन बल सदैव ऊपर की तरफ आरोपित होता है |  इस बल का परिमाण द्रव के घनत्व पर निर्भर करता है | 

  जैसे :- 

  • वस्तु पर लगने वाला गुरुत्वीय बल>उत्प्लावन बल
  •  निष्कर्ष :-  वस्तु डूब जाएगी | 
  •  वस्तु पर लगने वाला गुरुत्वीय बल<उत्प्लावन बल
  •  निष्कर्ष :-  वस्तु तैरती है | 

आर्किमिडीज के सिद्धांत :- 

जब किसी वस्तु को किसी तरल में पूर्णतः या अंशतः डुबोया जाता है , तब वस्तु ऊपर की तरफ लगने वाले एक बल का अनुभव करते हैं , यह बल वस्तु द्वारा विस्थापित तरल के भार के बराबर होता है |

आर्किमिडीज के सिद्धांत के उपयोग :-  

  • यह पदार्थों का आपेक्षिक घनत्व ज्ञात करने में उपयोगी है | 
  • यह जलयानों और पनडुब्बियों के डिजाइन बनाने में उपयोग किया जाता है | 
  • दुग्ध मापी और हाइड्रोमीटर आर्किमिडीज के सिद्धांत पर आधारित है | 

घनत्व :- 

किसी पदार्थ का एकांक आयतन द्रव्यमान घनत्व कहलाता है |  अगर पदार्थ का द्रव्यमान m व  आयतन v  है तो  घनत्व= द्रव्यमान/ आयतन | 

आपेक्षिक घनत्व :- 

आपेक्षिक घनत्व किसी पदार्थ के घनत्व और पानी के घनत्व के अनुपात को आपेक्षिक घनत्व कहते हैं | 

  • आपेक्षिक घनत्व =  पदार्थ का घनत्व / पानी का घनत्व
  • इसका कोई मात्रक नहीं होता है | 

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