Physics Class 9 Chapter 6 Notes in Hindi | ध्वनि (Sound) | Best Notes in Hindi | 

BSEB Physics Class 9 Chapter 6 Notes in Hindi | ध्वनि (Sound) | Best Notes in Hindi | 

यह पोस्ट हम आपके लिए लाए हैं | Physics Class 9 Chapter 6 Notes in Hindi | इस Chapter का नाम “ध्वनि (Sound)” है | दोस्तों हमने Physics Class 9 Chapter 6 ध्वनि (Sound) का एक छोटा सा नोट्स तैयार किया है | जो आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है |  इस नोट्स को आप कम से कम समय में अच्छा से तैयारी कर सकते हैं और अच्छा रिजल्ट ला सकते हैं | Physics Class 9 Chapter 6 Notes in Hindi |

Table of Contents

Physics Class 9 Chapter 6 Notes in Hindi | ध्वनि (Sound) | Best Notes in Hindi | 

ध्वनि :- 

यह ऊर्जा का एक रूप है, जो तरंगों के रूप में संचारित होती है |

  • ध्वनि हमारे कानों में श्रवण का संवेदन उत्पन्न करते हैं | 

ध्वनि का उत्पादन :- 

ध्वनि तब पैदा होती है जब वस्तु कंपन करते हैं या कम्पमान वस्तुओं से ध्वनि पैदा होते हैं | 

     किसी वस्तु को कंपित करके ध्वनि पैदा करने के लिए आवश्यक ऊर्जा किसी बाह्य  स्रोत द्वारा उपलब्ध कराई जाती है | 

ध्वनि उत्पन्न के निम्नलिखित तरीके :- 

  • कंपन करते तंतु से ( सितार)
  • कंपन करती वायु से (बांसुरी)

ध्वनि का संचरण :- 

वह पदार्थ जिससे होकर ध्वनि संचारित होती हैं, माध्यम कहलाता है | 

  • माध्यम ठोस , द्रव  या गैस हो सकता है | 
  • जब एक वस्तु कंपन करती हैं,तब इसके आसपास के वायु के कण भी बिल्कुल वस्तु की तरह कंपन करते हैं और अपनी संतुलित अवस्था में विस्थापित हो जाते हैं | 
  • यह प्रक्रिया माध्यम में तब तक चलती रहती हैं जब तक ध्वनि हमारे कानों में नहीं पहुंच जाती हैं | 

तरंग :- 

ध्वनि एक विक्षोभ है, जो किसी माध्यम से संचालित होता है | ध्वनि का संचरण के समय भी  विक्षोभ ही आगे बढ़ता है इसलिए ध्वनि को तरंग भी कहा जाता है | 

यांत्रिक तरंग :- 

वे तरंगें जो माध्यम के कणों की गति द्वारा अभिलक्षित होते हैं,यांत्रिक तरंगें कहलाती हैं | 

तरंग गति दो प्रकार का होता है :- 

  • अनुप्रस्थ तरंग गति
  • अनुदैर्ध्य तरंग गति

अनुप्रस्थ तरंग गति :- 

यदि माध्यम के कण अपनी मध्य स्थिति पर तरंग गति की दिशा के लंबवत दोलन करते हैं तो इसे अनुप्रस्थ तरंग गति कहते हैं | 

उदाहरण :- पानी की सतह पर उत्पन्न तरंग, प्रकाश तरंग , तनी डोरी में उत्पन्न तरंग , सितार का तार खींचने से उत्पन्न तरंग इत्यादि| 

अनुदैर्ध्य तरंग गति :- 

यदि माध्यम के कण अपनी मध्य स्थिति पर आगे पीछे तरंग गति की दिशा में कंपन करता है तो इसे अनुदैर्ध्य तरंग गति कहते हैं | 

उदाहरण :-  ध्वनि तरंग | 

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संपीड़न :- 

माध्यम का वह क्षेत्र जहां माध्यम का घनत्व अधिकतम होता है, संपीड़न कहलाता है | 

  • इसे प्रायः (C ) से सूचित किया जाता है | 
  • संपीडन वह क्षेत्र हैं जहां माध्यम के कण पास पास आकर उच्च दाब बनाते हैं | 
  • यह संपीड़न कम्पमान वस्तु से दूर जाता है |

विरलन :- 

माध्यम का वह क्षेत्र जहां माध्यम का घनत्व न्यूनतम होता है, उसे विरलन कहते हैं | इसे प्रायः (R ) से सूचित किया जाता है | 

अनुदैर्ध्य एवं अनुप्रस्थ तरंग में अंतर :- 

                  अनुदैर्ध्य तरंग                अनुप्रस्थ तरंग
(1)अनुदैर्ध्य तरंग मे माध्यम के कण तरंग की दिशा में दोलन करती हैं | (2)अनुदैर्ध्य तरंग ठोस, द्रव एवं गैस सभी माध्यम  में गमन करती हैं |(3)अनुदैर्ध्य तरंग संपीडन एवं विरलन के रूप में रहती है | (1)अनुप्रस्थ तरंग के माध्यम के कण तरंग गति की दिशा में लंबवत दोलन करते हैं | (2) अनुप्रस्थ तरंग ठोस एवं द्रव में गमन करते हैं लेकिन गैस में गमन नहीं करते हैं |
(3) अनुप्रस्थ तरंग श्रृंग एवं गर्त के रूप में रहते हैं | 

ध्वनि तरंग एवं प्रकाश तरंग में अंतर :-  

                      ध्वनि तरंग           प्रकाश तरंग/ रेडियो तरंग
(1)ध्वनि तरंग यांत्रिक तरंग है | (2) ध्वनि तरंग के गमन के लिए द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है | (3)ध्वनि तरंगे निर्वात से होकर नहीं गुजर सकती  है | (4) 20 डिग्री सेल्सियस ताप पर वायु में ध्वनि का वेग लगभग 344m/sec होता है | (1) प्रकाश तरंग विद्युत चुंबकीय तरंग है | (2)  प्रकाश तरंग के गमन के लिए किसी द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है| (3)प्रकाश तरंग निर्वात से भी होकर गुजर जाती  हैं | (4)प्रकाश तरंग का वेग वायु में 3*108 m/sec होता है | 

ध्वनि तरंग के अभिलक्षण :- 

  • तरंग दैर्ध्य 
  • आवृत्ति
  • आयाम
  • आवर्तकाल
  • तरंग वेग 

तरंग दैर्ध्य :- 

दो लगातार संपीड़नों अथवा दो लगातार विरलनो के बीच की दूरी को तरंग दैर्ध्य कहते हैं | 

एक पूर्ण दोलन में कोई तरंग जितनी दूरी तय करती हैं, उससे तरंग दैर्ध्य कहते हैं | 

  • इसे प्रायः लैम्डा से सूचित किया जाता है | 
  • इसका S.I मात्रक मीटर होता है | 

आवृत्ति :- 

एक सेकंड में उत्पन्न दोलनों की संख्या को आवृत्ति कहते हैं | 

  • इसे प्रायः n या f से सूचित किया जाता है |
  • इसका S.I मात्रक (Hz) होता है | 

आयाम :- 

मध्य स्थिति में माध्यम में कम्पित कणों के महत्तम विस्थापन को आयाम कहते हैं | 

  • आयाम को ‘A’  से सूचित किया जाता है | 
  • इसका S.I मात्रक मीटर होता है |   

आवर्तकाल :- 

एक कंपन आंदोलन को पूरा करने में लगा समय को आवर्तकाल करते हैं | 

  • आवर्तकाल को ‘T’ से दर्शाया जाता है | 
  •  इसका S.I  मात्रक सेकंड होता है | 

तारत्व :-

तारत्व ध्वनि तरंग का वह अभिलक्षण हैं, जो मानव कर्ण द्वारा प्राप्त आवृत्ति पर निर्भर करता है | अर्थात किसी उत्सर्जित ध्वनि की आवृत्ति मस्तिष्क किस प्रकार अनुभव करती हैं तारत्व कहलाती है | 

प्रबलता :- 

ध्वनि की प्रबलता ध्वनि तरंगों के आयाम पर निर्भर करता है |कानों में प्रति सेकंड पहुंचने वाली ध्वनि ऊर्जा के मापन को प्रबलता कहते हैं। 

गुणता :- 

किसी ध्वनि की गुणता उस ध्वनि द्वारा उत्पन्न तरंग की आकृति पर निर्भर करती हैं | यह संगीतमय ध्वनि का अभिलक्षण है | 

तीव्रता :- 

किसी इकाई क्षेत्रफल से 1 sec गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता करते हैं। 

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प्रबलता एवं तीव्रता में अंतर :- 

                        प्रबलता                          तीव्रता
(1)यह मानव कान की संवेदनशीलता पर निर्भर करता है |(2) प्रबलता को भौतिक राशि के रूप में नहीं मापा जा सकता है | (3)  चुकी  यह भौतिक राशि नहीं है इसलिए इसका S.I मात्रक नहीं होता है | (1) यह मानव कान की संवेदनशीलता पर निर्भर नहीं करता है | (2) ध्वनि की तीव्रता को भौतिक राशि के रूप में मापा जा सकता है | (3) इसका S.I मात्रक Watt m-2 होता है | 

ध्वनि की चाल पर ताप एवं दाब का प्रभाव :- 

ताप का प्रभाव :- 

ध्वनि की चाल माध्यम के ताप पर निर्भर करता है माध्यम के ताप बढ़ने से ध्वनि की चाल बढ़ती है |  ठीक इसके विपरीत माध्यम का ताप घटने से ध्वनि की चाल घटती हैं | 

दाब का प्रभाव :- 

यदि माध्यम का ताप अचर हो तो ध्वनि की चाल पर दाब का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है | 

ध्वनि बूम :- 

प्रघाती तरंगे :- कुछ वायुयान, गोलियां तथा रॉकेट आदि पराध्वनिक चाल से चलते हैं | पराध्वनिक का तात्पर्य वस्तु की उस चाल से हैं, जो ध्वनि की चाल से तेज होती है | ये  वायु में बहुत तेज आवाज पैदा करती हैं जिन्हें प्रघाती तरंगे करते हैं | 

      ध्वनि बूम प्रघाती तरंगों द्वारा उत्पन्न विस्फोटक सोर हैं | यह जबरदस्त ध्वनि ऊर्जा का उत्सर्जन करता है जो खिड़कियों के शीशे तोड़ सकती हैं | 

ध्वनि का परावर्तन :- 

प्रकाश की तरह ध्वनि भी जब किसी  कठोर सतत से टकराती है तब वापस लौटती है |  यह ध्वनि का परिवर्तन कहलाता है | 

    ध्वनि भी परावर्तन के समय प्रकाश के परावर्तन के नियमों का पालन करते हैं | 

  • आपत्ती ध्वनि तरंग, परावर्तित ध्वनि तरंग तथा आयतन बिंदु पर खींचा गया अभिलंब एक ही तल में होते हैं | 
  • ध्वनि के आपतन कोण हमेशा ध्वनि के परावर्तन कोण के बराबर होता है | 

प्रतिध्वनि :- 

किसी विस्तृत एवं कठोर अवरोध से ध्वनि के परावर्तित होकर उसे पुनः सुने जाने की घटना को ध्वनि की प्रतिध्वनि कहते हैं | 

  • हम प्रतिध्वनि तभी सुन सकते हैं जब मूल्य ध्वनि तथा प्रतिध्वनि के बीच में कम से कम 0.1सेकंड का समय अंतराल हो | 
  • प्रतिध्वनि कब पैदा होती है जब ध्वनि किसी कठोर सतह से परावर्तित होती हैं | मुलायम सतह ध्वनि को अवशोषित करते हैं | 

अनुरणन :- 

एक बड़े हॉल में बारंबार परावर्तन जिसके कारण ध्वनि निर्बाध होता है, अनुरणन कहलाता है | 

स्टेथोस्कोप :- 

यह एक चिकित्सा यंत्र है जो मानव शरीर के अंदर हृदय और फेफड़ों में उत्पन्न ध्वनि को सुनने में काम आता है |  हृदय की धड़कन की ध्वनि स्टेथोस्कोप की रबड़ की नली में बारंबार परावर्तित होकर डॉक्टर के कानों में पहुंचते हैं |  

श्रव्यता का परिसर :-

मनुष्य में श्रव्यता  का परिसर 20 Hz से 2000 Hz  तक होता है | 5  वर्ष से कम आयु के बच्चे तथा कुत्ते 25 KHz  तक की ध्वनि सुनने लेते हैं | 

अवश्रव्य तरंग :- 

वैसी ध्वनि तरंगे जिनकी आवृत्ति 20 Hz से कम होती है , अवश्रव्य तरंग कहलाता है | 

  •  कंपन करता हुआ सरल लोलक अवश्रव्य  ध्वनि उत्पन्न करता है | 
  •  हाथी तथा  हवेल अवश्रव्य ध्वनि उत्पन्न करते हैं | 
  • भूकंप प्रघाती तरंगों से पहले अवश्रव्य  तरंगें पैदा करते हैं जिन्हें कुछ जंतु सुनकर परेशान हो जाते हैं | 

पराश्रव्य तरंग :- 

वैसी ध्वनि तरंगे जिनकी आवृत्ति 20 KHz और (20000 Hz) से अधिक होता है, पराश्रव्य कहलाता है |  

     कुत्ते, डॉल्फिन, चमगादड़, पारपाइज तथा चूहे पराध्वनि सुन सकते हैं |  कुत्ते तथा चूहे पराध्वनि उत्पन्न करते हैं |  

श्रवण सहायक युक्ति :- 

यह बैटरी चालित  इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो कम सुनने वाले लोगों द्वारा प्रयोग की जाती हैं |  माइक्रोफोन ध्वनि को विद्युत संकेतों में बदलता है जो एंपलीफायर द्वारा प्रवर्धित हो जाते हैं | ये प्रवर्धित संकेत युक्ति से स्पीकर को भेजे जाते हैं | स्पीकर प्रवर्धित संकेतों को ध्वनि तरंगों में बदलकर कान को भेजता है जिससे साफ सुनाई देता है | 

पराध्वनि के अनुप्रयोग :- 

इसका उपयोग उद्योगों में धातु के इलाकों में दरारों या अन्य दोषों का पता लगाने के लिए किया जाता है | 

यह उद्योगों में वस्तुओं के उन भागों को साफ करने में उपयोग की जाती हैं जिन तक पहुंचना कठिन होता है | जैसे:-  सर्पिलाकार नली , विषम आकार की मशीन  इत्यादि | 

    पराध्वनि का उपयोग मानव शरीर के आंतरिक अंगों जैसे यकृत, पित्ताशय, गर्भाशय, गुर्दे  तथा हृदय की जांच के लिए उपयोग किया जाता है | 

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इकोकार्डियोग्राफी :- 

इन तरंगों का उपयोग हृदय की गतिविधियों को दिखाने तथा इसका प्रतिबिंब बनाने में किया जाता है, इकोकार्डियोग्राफी कहलाता है |  

अल्ट्रासोनोग्राफी :- 

वह तकनीक जो शरीर के आंतरिक अंगों का प्रतिबिंब पराध्वनि तरंगों की प्रतिध्वनियों द्वारा बनाती है,  अल्ट्रासोनोग्राफी  कहलाता है | 

सोनार :- 

सुनार एक युक्ति जो पानी के नीचे पिंडों की दूरी, दिशा तथा चाल मापने के लिए प्रयोग की जाती हैं | 

सोनार की कार्यविधि :- 

  • सोनार में एक प्रेषित तथा एक संकुचक होती है जो जहाज की तली में लगा होता है | 
  • प्रेषित पराध्वनि तरंगें उत्पन्न करके प्रेषित करता है | 
  • वह युक्ति पराध्वनि तरंगों द्वारा जहाज से समुद्र तल तक जाने तथा वापस जहाज तक आने में लिए गए समय को नाप लेती हैं |
  • इस समय का आधा समय पराध्वनि तरंगों द्वारा जहाज समुद्र तल तक जाने में लिया जाता है | 

मानव कर्ण की संरचना :- 

बाह्य कर्ण :- 

  • बाह्य कान को  कर्ण पल्लव कहते हैं ,यहां आस-पास से ध्वनि इकट्ठा करता है | 
  • यह ध्वनि श्रवण नलिका से गुजरती है | 
  • श्रवण नलिका के अंत पर एक पतली  झिल्ली कर्ण पटह या कर्ण पटह झिल्ली होती है | 

मध्य कर्ण :- 

मध्य कर्ण के तीन हड्डियां मुगदराक ,निहाई और वलयक एक दूसरे से जुड़ी होती है | मुग्दरक का स्वतंत्र हिसा कर्णपट्ट से तथा वलयक का अन्त कर्ण के अंडाकार छिद्र के झीली से जुड़ा होता है | 

अंतः कर्ण :- 

अंतः कर्ण में एक मुड़ी हुई नलिका कर्णावर्त होती है जो अंडाकार छिद्र से जुड़ी होती हैं | कर्णावर्त मैं एक द्रव होता है जिसमें तंत्रिका कोशिका होती हैं | कर्णावर्त का दूसरा सिरा श्रवण तंत्रिका से जुड़ा होता है जो सीधे तक मस्तिष्क जाती हैं | 

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